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कामवाली की मंझली बहू-1 लेखक: अभिनव गुप्ता संपादक एवम् प्रेषक: सिद्धार्थ वर्मा रात में कामवाली की युवा बहू के साथ सेक्स के बाद हम दोनों सो गए थे. अब आगे: उस दिन सुबह आठ बजे मेरी नींद खुली तो देखा नग्न माला मेरी ओर करवट किये मेरी बाएं बाजू पर सिर रखे सो रही थी और उसके दोनों उरोज मेरे सीने से चिपके हुए थे. उसका बायाँ बाजू मेरे कंधे के ऊपर से मेरी पीठ पर था तथा उसने उससे मुझे जकड़ा हुआ था और उसका दायाँ बाजू हम दोनों के बीच में था तथा उसका वह हाथ मेरे लिंग पर रखा हुआ था. उसकी दाईं टाँग बिल्कुल सीधी मेरी बाईं टाँग से चिपकी हुई थी तथा उसकी बाईं टाँग मुड़ी हुई थी और उसका घुटना मेरी दोनों टांगों के बीच में था.
उसका चेहरा सुबह की रोशनी में चमक रहा था तथा उस पर एक अबोध बच्चे के जैसी मासूमियत थी जिसे मैं बिना हिले डुले चुपचाप निहारते हुए बीती रात के प्रसंग के बारे सोचने लगा. रात के प्रसंग के बारे में सोचते ही मेरे लिंग में चेतना आने लगी और पूरे शरीर में एक रोमांच की लहरें उठने लगी.
कहते हैं कि उत्तर पश्चिम यूरोप के एक देश में हुए शोध से पता चला है कि पुरुष के लिंग को पूर्ण चेतना में लाने के लिए किसी भी स्त्री को अधिक से अधिक दस सेकंड ही लगते हैं. लेकिन मेरा लिंग तो बिना किसी स्त्री की सहायता लिए, सिर्फ उसके साथ किये संसर्ग के बारे में सोचने से ही सात सेकंड में उस स्थिति में पहुँच गया.
इससे पहले मैं कोई अगला कदम उठता मुझे मेरे लिंग पर माला के हाथ का दबाव महसूस हुआ और मैंने गर्दन नीची करके उसे देखा तो वह जाग गई थी और मंद मंद मुस्करा रही थी. मेरी गर्दन नीचे झुकने से जैसे ही मेरा चेहरा उसके पास आया उसने अपना सिर ऊँचा करते हुए मेरे होंठों को चूम मुझे कस कर जकड़ लिया. प्रत्युत्तर में मैंने भी उसे अपनी बांहों में इतनी जोर से भींचा कि उसकी सीत्कार निकल गई और उसके उरोज मेरे सीने में गड़ने से उसे पीड़ा का अनुभव हुआ.
माला की सीत्कार सुन कर मैंने जैसे ही अपनी पकड़ ढीली की, उसने मुझे हल्का धक्का दे कर सीधा किया और मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई. मैं तुरंत उसके दोनों उरोजों को हाथों से सहलाने लगा और उनकी चूचुक को उंगलियों एवम् अंगूठे के बीच में लेकर मसलने लगा. मेरा ऐसे करते ही जब उसके शरीर में उत्तेजना की लहरें दौड़ने लगी तब वह थोड़ा पीछे हो कर मेरी जाँघों पर बैठते हुए मेरे लिंग को पकड़ कर सहलाने तथा हिलाने लगी.
जब मैंने अपने एक हाथ को उसके उरोज से हटा कर उसकी जाँघों के बीच में डाल कर उसके भगांकुर को सहलाने लगा तब वह उचक पड़ी. उसने तुरंत पलटी होकर मेरे लिंग को अपने मुंह में भर लिया और अपनी योनि को मेरे मुंह के आगे कर दिया. मैंने उसका न्योता स्वीकार किया और अपने दोनों हाथों से उसके नितम्बों को पकड़ कर उसे नीचे खींच कर उसकी योनि पर अपना मुंह गाड़ दिया.
जैसे ही मेरी जीभ उसके भगांकुर को छूती, माला का शरीर में कंपकंपी की लहर दौड़ जाती और वह अपनी योनि को मेरे मुंह पर दबा देती. उसके ऐसा करते ही मैं अपनी जीभ को उसकी योनि के डाल देता और उसके अन्दर घुमा कर उसकी उत्तेजना की आग में घी डालने का काम करता.
जब माला के मुंह से सिसकारियाँ निकलती, तब मेरी उत्तेजना बढ़ जाती और उसके मुंह में मेरा लिंग-मुंड फूल जाता जिस से उसकी आवाज़ निकलना बंद हो जाती.
दस मिनट तक इस युगल पूर्व क्रिया करते हुए जब हम बहुत उत्तेजित हो गए तब मैंने माला को उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और एक ही झटके में अपने लोहे जैसे सख्त लिंग को उसकी सिकुड़ी हुई योनि में घुसेड़ दिया.
पूरे लिंग का एक ही झटके में योनि के घुसते ही माला तडप उठी और पैर पटकती ही बहुत ऊँची एवम् लम्बी चीत्कार मारती हुई बोली- आह्ह… ओह्ह.. मेरी माँ… हाय.. मैं मर गईईई… क्या आप आराम से नहीं कर सकते? बड़ी बेदर्दी से मार डाला मुझे.
मैं समझ गया कि उसे बहुत दर्द हुआ होगा तभी के लिए वह ऐसा बोल रही है इसलिए मैं चुपचाप बिना कुछ उत्तर दिए उसके ऊपर लेट गया. पाँच मिनट के बाद वह बोली- मैं नीचे दब रही हूँ, मेरा दम घुट रहा है. थोड़ा ऊँचा हो जाइए ताकि मेरे ऊपर वज़न कम हो जाये.
मैंने माला की आँखें डाल कर उसकी ओर देखते ही मैं समझ गया कि उसका दर्द कम हो गया था और वह संसर्ग के लिए तैयार थी. तब मैंने थोड़ा ऊँचा होकर संसर्ग शुरू किया और अपने लिंग के मुंड को उसकी योनि के अंदर ही रखते हुए बाकी का हिस्सा बाहर निकाल कर फिर अंदर धकेलने लगा.
लगभग दस मिनट तक धीरे धीरे धक्के मारने के बाद जब मैंने तेज़ धक्के लगाने शुरू किये तब माला भी अपने कूल्हे ऊपर उठा कर मेरा साथ देने लगी. जब मैं लिंग को योनि से बाहर खींचता तब वह कूल्हे नीचे कर लेती और जब मैं लिंग को योनि के अंदर धकेलता तब वह कूल्हे ऊँचे उठा कर उसका स्वागत करती.
तेज़ संसर्ग को करते हुए पाँच मिनट ही हुए थे जब माला की योनि में से रस का रिसाव होना और उसके मुंह से सिसकारियों का निकलना शुरू हो गया. रस के रिसाव से योनि के अंदर स्नेहन हो जाने से मेरा लिंग बहुत तेज़ी से उसके अंदर बाहर जाने लगा और कमरे में फच फच का स्वर गूंजने लगा. मैं दस मिनट से तेज़ी से संसर्ग कर रहा था और माला मेरा पूरा साथ दे रही थी तभी उसने कहा- और अधिक तेज़ी से करिए मैं प्रेमोन्माद की चरमसीमा पर पहुँचने वाली हूँ.
क्योंकि मैं भी कामोन्माद के समीप पहुँचने वाला था इसलिए मैंने माला की बात मानते हुए अत्यंत तीव्रता से धक्के लगते हुए अपने लिंग को उसकी योनि के अंदर बाहर करने लगा. मैंने अभी आठ दस तीव्र धक्के ही लगाये थे कि माला चिल्लाई- आह.. ओह्ह… उईईमाँआआ….. मैं गईईई… मैं मर गई… माँआआ…. इसके साथ ही उसकी योनि में गर्म गर्म रस की बाढ़ आ गई जिसमें मेरा लिंग गोते खाने लगा और रस की ऊष्मा लगते ही लिंग ने अपनी पिचकारी चला कर ढेर सारा वीर्य रस उगल दिया.
हम दोनों पसीने से लथपथ थे तथा बुरी तरह से थके हुए हांफ रहे थे इसलिए मैं माला के ऊपर ही लेट गया और अगले दस मिनट हम वैसे ही लेटे रहे. जब हमारी साँस में सांस वापिस आई तब माला मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर उन्हें चूसने लगी और मेरे सिर तथा पीठ पर बहुत प्यार से हाथ फेरने लगी.
मैं अभी कुछ देर और उसके ऊपर ही लेटा रहना चाहता था लेकिन मेरे लिंग के सिकुड़ कर माला की योनि से बाहर निकल जाने के कारण योनि में से निकल रहा दोनों का मिश्रित रस बिस्तर गीला करने लगा था. जैसे ही माला को गीलापन महसूस हुआ उसने झट से अपनी योनि पर हाथ रख कर रस को बहने से रोका और मुझे धक्का दे कर अलग करते हुए उठी और बाथरूम में भाग गई.
मैं भी अपने ढीले लिंग को हाथ में पकड़े जब उसके पीछे बाथरूम में गया तब देखा कि माला अपनी योनि साफ़ करने वाली ही थी. मैं झट से उसके पास जा कर खड़ा हो गया तथा अपने लिंग को उसकी ओर बढ़ा दिया तब माला ने अपनी योनि को धोना छोड़ कर मेरे लिंग को पकड़ कर पहले तो चूमा और फिर उसे चूस एवम् चाट कर बिल्कुल साफ़ कर दिया.
उसके बाद जब माला नीचे बैठी अपनी योनि को पानी से धो रही थी तब मैंने शावर खोल दिया और माला को खींचते हुए उसके नीचे अपने साथ नहलाने लगा. शावर के नीचे दोनों ने एक दूसरे के शरीर को अच्छे से मल कर नहलाया और फिर बदन पोंछ एवम् कपड़े पहन लिए.
उस दिन के बाद अम्मा के वापिस आने तक माला रात हो या दिन मेरे ही साथ मेरे बिस्तर पर नग्न सोती थी और हम दोनों हर रात एक बार तथा अवकाश के दिनों में तो दो से तीन बार संभोग करते थे.
कामवाली की चुदाई कहानी जारी रहेगी. [email protected]
कामवाली की मंझली बहू-3
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