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हैलो दोस्तो, अन्तर्वासना के सभी पाठकों मेरा नमस्कार, मेरा नाम रौशन है और मैं छपरा (बिहार) का रहने वाला हूँ.
यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है और मैं आशा करता हूँ कि आप लोगों को अच्छा लगेगा. यह चुदाई कहानी मेरे और मेरी भाभी के बीच की है.
जैसा कि आप सब जानते हैं कि सेक्स हमारे जीवन में कितना मायने रखता है. सब लोग सेक्स करना चाहते हैं, मैं भी सेक्स का बहुत बड़ा एडिक्ट हूँ, पर मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है तो मैं अक्सर हाथ से ही लंड हिलाकर शांत हो जाता हूँ.
बात तब की है, जब मैं एसएससी की परीक्षा देने दिल्ली गया हुआ था. परीक्षा सुबह दस बजे से थी. जब मैं परीक्षा दे कर बाहर आया तो ट्रेन की पूछने स्टेशन गया. वहाँ जाकर पता चला कि एक घंटे पहले ट्रेन निकल चुकी है और दूसरी ट्रेन नाइट में है, तो मैं मुझे याद आया कि मेरे गाँव के मेरे घर के बगल के एक सोहन भैया दिल्ली में अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं, तो मैंने उन्हें फोन किया. सोहन भैया ने अपने घर के पता दिया और उनके घर के पते पर पहुँचा तो भाभी ने दरवाजा खोला.
मैंने भाभी को प्रणाम किया, तो भाभी हंस कर बोलीं- अन्दर आओ. मैंने पूछा- भैया कहाँ हैं? तो भाभी बोलीं- भैया ड्यूटी गए हैं और रात को आ पायेंगे.
हम लोग बातें करने लगे. भाभी और मैं एक-दूसरे को गाँव से ही पहचानते थे और मजाक किया करते थे, लेकिन गाँव में बातें सिर्फ हल्के-फुल्के मजाक तक होती थीं. जब मैंने भाभी को इधर दिल्ली में देखा तो बड़ी मस्त लग रही थीं. भाभी इस वक्त क़यामत से भी डेन्जर माल लग रही थीं. क्या लाल गाल थे भाभी के, कश्मीरी सेब की तरह.. और आँखें तो एकदम जानलेवा थीं. भाभी पीछे से तो और अधिक मस्त और सेक्सी माल लग रही थीं. भाभी की उम्र यही कोई बाईस साल होगी. कुछ देर मैंने और भाभी ने बातें कीं और मैं फ़िर स्नान करने चला गया. मैं बिना कपड़े पहने स्नान कर रहा था, तो मुझे लगा कि कोई बाथरूम के गेट पर है और मुझे स्नान करते देख रहा है.
मैंने देखा तो वो भाभी थीं तो मैंने गेट खोल कर पूछा- क्या भाभी कोई काम है क्या? वो बोलीं- नहीं.. ये कह कर भाभी चली गईं.
जब मैं स्नान करके आया तो भाभी बोलीं- भैया के कपड़े पहन लो.
मैं भैया के कपड़े लाने उनके रूम में चला गया. दोस्तो जो मैंने वहां देखा उससे तो मेरा होश उड़ गया. वहां पर कन्डोम के पैकेट और ब्लू फिल्म की सीडी रखी थीं जिन पर ऊपर से नंगी फोटो बनी थीं.
अभी मैं कुछ करता कि तब तक भाभी अन्दर आ गई और उन्होंने मुझे कन्डोम हाथ में लिए देख लिया. भाभी मुस्कुरा कर बोलीं- क्या देवर जी क्यों ऐसे कन्डोम को निहार रहे हो? कभी इसका इस्तेमाल किया है या नहीं? मैं बोला- नहीं! तो भाभी बोलीं- करोगे? मुझे लगा कि भाभी मुझ पर फिदा हो रही हैं, तो मैं लंड सहला कर बोला- हाँ.. अब भाभी मेरे पास आकर बोलीं- अभी? मैं बोला- मौका अच्छा है.. भैया भी नहीं हैं.
मैं इतना बोला ही था कि भाभी मुझसे चिपक गईं और मेरा मेरा अंडरवियर नीचे करके मेरा लंड हाथ में ले लिया.
फ़िर भाभी बोलीं- बाप रे इतना मोटा लंड!
दोस्तो शायद मुठ मारने के कारण मेरा लंड कुछ बड़ा हो गया है. मेरा काफी लम्बा और मोटा है, जैसा कि आप लोग जानते हैं कि सभी औरतें लम्बा और मोटा लंड पसंद करती हैं. तो भाभी को भी मेरा लंड पसंद आ गया. तभी भाभी नीचे बैठ कर मेरे लंड को आईसक्रीम की तरह चाटने लगीं. मैं भी उनके मम्मों को दबाने लगा.
दस मिनट बाद भाभी गर्म हो गईं और बोलने लगीं- जल्दी चोद दो.. फाड़ दो मेरी चुत को.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. वो कुछ-कुछ चुदासी सी आवाजें भी निकालने लगीं.
मैंने भाभी को नंगी किया.. क्या चुत थी एकदम चिकनी, बिना बाल की चुत थी. मैंने भी समय न गंवाते हुए भाभी को चुदाई के पोज में लिटाया और अपने लंड को उनकी चुत पर सैट कर दिया.
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मैंने लंड से एक जोरदार झटका मारा, तो भाभी चिल्लाने लगीं- अह.. बाहर निकालो.. मैं मर जाऊँगी.. बहुत मोटा लंड है. लेकिन मैंने उनकी बात नहीं सुनी और लगा रहा. बस दो मिनट बाद उन्हें भी मजा आने लगा और भाभी के मुँह से आवाज आने लगी- जोर से.. फाड़ दो चुत को.. पहली बार कोई मर्द मिला है आह.. मजा आ गया.. और जोर-जोर से चोद दो!
उनकी आवाज़ से और चुदाई की मधुर ‘फच फच..’ की ध्वनियों से पूरा कमरा गूँज रहा था.
इस बीच भाभी झड़ गईं और पाँच मिनट बाद मैं भी झड़ गया. कुछ देर बाद फ़िर से हम दोनों तैयार हो गए. मैं बोला- भाभी अपनी गांड मारने दो ना! भाभी बोलीं- नहीं.. तुम्हारा लंड बहुत मोटा है.. ये मेरी गांड फाड़ देगा. मैं बोला- भाभी एक बार अपनी गांड मारने दो.. मैं वादा करता हूँ गांड को कुछ नहीं होने दूँगा. लेकिन भाभी नहीं मानी और बोलीं- चुत को ही फिर से चोद लो.
मैं भाभी के होंठ को चूसने लगा और दस मिनट बाद भाभी गर्म हो गईं, उनके मुँह से ‘उह उह आह..’ निकलने लगी और और भाभी बोलने लगीं- जल्दी करो प्लीज़ जल्दी चोदो.. और मत तड़पाओ.
मैंने भी अपना लंड भाभी के चुत में डाला और चुदाई का मैच चालू हो गया. कुछ ही देर की पेलमपाल के बीच भाभी झड़ गईं. उनके रस की गर्मी से मैं भी झड़ने वाला था. बस दो मिनट बाद मैं भी भाभी की चुत में ही झड़ गया.
इसके बाद हम दोनों ने एक साथ स्नान किया और खाना खाया.
फ़िर मैं तैयार हुआ और भाभी को किस करके स्टेशन को निकल पड़ा. ट्रेन आने वाली थी.. मैं लंड सहलाता हुआ भाभी की चुदाई की कहनी को याद कर रहा था. आप सब अपने मेल भेजें.
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