मेरा गुप्त जीवन- 177
यह तो ऋषि वात्सयायन का बहुत भला हो जिन्होंने काम शा…
मेरा गुप्त जीवन- 117
फिर उसने अपने गरम होंट मेरे होंटों पर रख दिए और ए…
तलाकशुदा का प्यार-3
उसने मुँह से लण्ड निकल कर मेरी तरफ मेरी आँखों में …
मेरा गुप्त जीवन- 116
अगले दिन सुबह कोई 10 बजे के करीब एक मिनी बस हवेली…
तलाकशुदा का प्यार-1
मेरी कहानियों पे जो प्यार आपका मिलता है वो अभूतपूर्…
वो स्कूल का पहला दिन
Vo School Ka Pahla Din दसवीं के बाद मैंने स्कूल बद…
अपनी मौसी को ही चोद !
हेल्लो दोस्तो, कैसे हो आप! मैं आपका प्यारा मेजस्टी, ज…
तलाकशुदा का प्यार-4
परदों से छन छन के आती रोशनी और चिड़ियों की चहचहाट …
मेरा गुप्त जीवन- 113
थोड़ी देर में मधु मैडम झड़ने के करीब पहुँच गई थी, उ…
तलाकशुदा का प्यार-2
एक अच्छे रेस्तरां में हमने डिनर लिया, साथ में एक एक…