जेम्स की कल्पना -4
कल्पना अलग पड़ी थी। योनि बाढ़ से भरे खेत की तरह बह र…
लड़कपन की यादें-7
‘अभी तुम लोग अपने कमरे में जाकर सो जाओ… कल हम डैड…
जूनियर की बीवी-4
मैं अलका रानी को निहारने लगा. “आह … क्या मदमस्त जवा…
प्रणव की दास्तान
प्रेषक : सचिन शर्मा यह मेरे दो दोस्तों की कहानी है, …
मेरे लंड की किस्मत
मैं अकेला ही दिल्ली के तिलकनगर में एक विधवा पंजाबन…
लड़कपन की यादें-5
मैं समझ गया कि वो ओर्गेज्म पर पहुँच चुकी थी इसलिए उ…
जिस्म की जरूरत-12
जलती हुई मोमबत्ती लेकर मैं वापस कमरे में आया और बि…
जिस्म की जरूरत-10
कैसे हैं मित्रो… देरी के लिए माफ़ी चाहता हूँ, वैसे …
अन्तर्वासना ट्रेन में चुदाई छह लंड से: यादगार सफ़र
प्यारे दोस्तो, काफ़ी दिनों बाद मैं अपनी एक कहानी लेक…
एकता बजाज की बजा दी
स्वीट राज़ मैं सभी पाठकों को धन्यवाद देता हूँ, मात्र …