दिल का क्या कुसूर-8
तभी अचानक मुझे अपने अन्दर झरना सा चलता महसूस हुआ।…
दिल का क्या कुसूर-9
मुझे लगा कि इस बार मैं पहले शहीद हो गई हूँ। अरूण …
यादगार सफ़र
प्रेषक : आनन्द सिंह मेरा नाम अमन है और यह मेरी अन्तर्…
रिटायरिंग-रूम की छत पर
दोस्तो, मेरी कहानियों पर जो आपके प्यार भरे मेल आते …
मेरी परीक्षा और मेरी चूत चुदाई-2
तभी दरवाजे की घण्टी बजी, शायद मौसी आ गई थी। सौरभ द…
शालिनी ने जो चाहा वो पाया-1
दरअसल अन्तर्वासना की वजह से सेक्स, उत्तेजना और कामुकत…
आज कुछ तूफानी करते हैं !
श्रेया आहूजा का आप सभी को सलाम ! यह आपबीती है मेरे…
शालिनी ने जो चाहा वो पाया-3
शालिनी के अभी तक के दोनों सेक्स अनुभव बाथरूम में ह…
बदतमीज़ की बदतमीज़ी : हरिगीतिका छन्द में
फैली सुहानी चाँदनी हर, वृक्ष के पत्ते हिलें। सूखे प…
दिल का क्या कुसूर-3
दोनों लड़कियाँ आपस में एक दूसरे से अपनी योनि रगड़ र…