एनसीसी कैंप की रात

प्रेषक : प्रवीण मैं अध्यापक हूँ। हमारे स्कूल में लड़के…

मेरा प्यारा देवर-2

मैं उसको हर रोज ऐसे ही सताती रहती जिसका कुछ असर भ…

रेखा- अतुल का माल-1

आपने मेरी लिखी कहानी हमारी नौकरानी सरीना पढ़ी। उसी…

आकर्षण-3

लेखिका : वृन्दा बस इसी तरह समय बीतता रहा.. हम समय …

एक के ऊपर एक

प्रेषक : अर्जुन मेरा नाम अर्जुन है, मैं शहर में काम …

दो नम्बर का बदमाश-1

‘ये चूतें, गाँड, और लंड सब कामदेव के हाथों की कठप…

हमारी नौकरानी सरीना-2

सरीना आठ बजे तक काम करके चली जाती थी, आज नौ बज रह…

राजा का फ़रमान-1

वृन्दा नमस्कार ! मैं वृंदा पहली बार अन्तर्वासना पर अप…

रुचि का शिकार-2

रुचि सीधे होकर मुझसे चिपक गई और बोली- सच राजीव, इ…

चरित्र बदलाव-4

अन्तर्वासना के पाठकों को एक बार फिर से मेरा प्यार और…