बिस्तर से मण्डप तक

लेखक : विक्की हेल्लो दोस्तो, मैं विकास, आज मैं अपनी …

कुंवारी भोली–7

शगन कुमार रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी। हरदम नि…

मेरी जवान चूत की धार

दोस्तो, एक बार फिर राज का दिल और खड़े लण्ड से नमस्कार…

गोआ का ट्रिप

प्रिय दोस्तो, मेरा नाम अमित है, पुणे का रहने वाला ह…

कुंवारी भोली–8

शगन कुमार कोई 4-5 बार अपना दूध फेंकने के बाद भोंप…

कुंवारी भोली–6

शगन कुमार मैं खाना गरम करने में लग गई। भोंपू के स…

तड़पाना जरुरी है क्या

प्रेषक : पल्लू अन्तर्वासना के बारे में मेरे एक दोस्त न…

मधुर प्रेम मिलन-1

प्रेषिका : स्लिमसीमा नई नवला रस भेद न जानत, सेज गई…

कुंवारी भोली–9

शगन कुमार मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं थी। मैं खड़ी…

कुंवारी भोली–10

शगन कुमार मुझे भोंपू के मुरझाये और तन्नाये… दोनों …