माँ-बेटियों ने एक दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-2

अगले दिन खाना खाने के बाद करीब 12 बजे रागिनी और उ…

नाम में क्या रखा है-1

शेक्सपीयर जो अपने आपको बड़ा चाचा चौधरी समझता था, उस…

नाम में क्या रखा है-3

प्रेषक : होलकर उन्होंने सर पर कपड़ा कब लपेट लिया था,…

माँ-बेटियों ने एक दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-3

अगली सुबह मैं जरा देर से तब उठा जब बिंदा मुझे चाय…

गदराई लंगड़ी घोड़ी-5

“अभी तो एक और सरप्राइज है तेरे लिए..” “वो क्या?” “च…

माँ-बेटियों ने एक दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-5

रागिनी सब समझ गई और किसी के कहने से पहले बोल पड़ी-…

औरतें सिर्फ सेक्स की भूखी नहीं होती-1

प्रेषक : राकेश कुमार सभी को नमस्कार, आप सभी का शुक्र…

कामदेव के तीर-3

मैंने कहा- डार्लिंग, अब तो कल तक के लिए यही हूँ, थ…

रेलगाड़ी में मिली एक यौवना

प्रिय दोस्तो, जैसा मैंने पिछली कहानी ‘दिल्ली की साक्ष…

वो लड़की भीगी सी-1

प्रेषक : इमरान ओवैश “क्या देख रहे हो? कभी कुछ देखा …