राजा का फ़रमान-1
वृन्दा नमस्कार ! मैं वृंदा पहली बार अन्तर्वासना पर अप…
रेखा- अतुल का माल-3
रेखा सीधी होकर पलंग पर बेसुध होकर लेट गई। अतुल भी…
आकर्षण-3
लेखिका : वृन्दा बस इसी तरह समय बीतता रहा.. हम समय …
एक के ऊपर एक
प्रेषक : अर्जुन मेरा नाम अर्जुन है, मैं शहर में काम …
दो नम्बर का बदमाश-2
मैं सोफ़े पर बैठ गया। जैसी ही बाथरूम का दरवाज़ा खुल…
पम्मी जी पप्पू जी
आप सभी अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्का…
डिल्डो वाली पूजा-2
प्रेषिका : शालिनी “पूजा अब तो तूने मेरी गाण्ड भी मा…
सोने का नाटक
मैं अपनी पहली कहानी लिख रहा हूँ, उम्मीद है आप सब क…
रुचि का शिकार-2
रुचि सीधे होकर मुझसे चिपक गई और बोली- सच राजीव, इ…
चरित्र बदलाव-4
अन्तर्वासना के पाठकों को एक बार फिर से मेरा प्यार और…