कम्मो बदनाम हुई-2

प्रेषक : प्रेम गुरु कितना आनंददायक पल था। आह….. मेर…

मेरी चालू बीवी-90

सम्पादक – इमरान फिर कुछ फ्री होने के बाद मैंने सलोन…

मेरी चालू बीवी-60

सम्पादक : इमरान मेरा लण्ड भी पूरा तनतना रहा था मगर …

दिल का क्‍या कुसूर-4

मुझे पुरूष देह की आवश्‍यकता महसूस होने लगी थी। काश…

गेटपास का रहस्य-5

मुझे मयूरी से मिले हुए दो दिन हो गए थे हमें ऐसा क…

मेरी प्यारी चारू –2

दोस्तो, मैं और चारू दोनों ही प्यार के रंग में सराबो…

मेरी चालू बीवी-62

सम्पादक : इमरान सलोनी वाकयी में बहुत निश्चिन्त होकर …

गेटपास का रहस्य-4

अब तक मैंने उसकी हाफ पेंट के बटन खोल दिये थे, जैस…

दिल का क्‍या कुसूर-8

तभी अचानक मुझे अपने अन्‍दर झरना सा चलता महसूस हुआ।…

गेटपास का रहस्य-3

दीप के जाने के बाद मैंने किताब को एक तरफ रखी और म…