कम्मो बदनाम हुई-1
प्रेम गुरु के दिल और कलम से मेरा नाम कुसुम है पर प्…
मेरी प्यारी चारू–3
मैं और चारू दोनों पलंग पर नग्न थे और एक दूसरे को ह…
दिल का क्या कुसूर-5
आखिर इंतजार की घड़ी समाप्त हुई और बुधवार भी आ ही ग…
मेरी चालू बीवी-91
सम्पादक – इमरान मैं रोज़ी के साथ बैठा नलिनी भाई और …
दो यादगार चूतें-1
नमस्कार दोस्तो, मैं रवि एक बार फिर हाज़िर हूँ। मैं अ…
भईया भाभी का साथ -2
भाभी कहने लगी- रोमा, तुम्हारे भईया का लंड बहुत बड़ा…
मेरी चालू बीवी-34
इमरान अब लण्ड का सुपारा आधा से लेकर एक इंच तक भी च…
मेरी चालू बीवी-63
सम्पादक : इमरान मस्ती भरी रात का पूरा मजा आ रहा था……
मेरी प्यारी चारू –1
सर्वप्रथम अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा कोटि-कोटि प्रण…
दो यादगार चूतें-2
लेखक : रवि लोरिया बोली- जीजू पिशाब नहीं पिलाओगे क्…