मेरा गुप्त जीवन -30
कम्मो जब लखनऊ में आई तो उसके पास धन के नाम मेरे दि…
मेरी चालू बीवी-110
सम्पादक – इमरान मामा जी कहा था कि यार अंकुर, यहाँ …
मेरी चालू बीवी-121
सम्पादक- इमरान मामाजी- अह्ह्ह अह्ह्हाआ आह तेरी बातों म…
इन्दौरी के चुटकुले
एक विदेशी सैलानी दिल्ली की गलियों में घूम रहा था। …
मेरी नॉटी फ़ैन्टेसी
हाई जान… आज मैं बहुत ही रिलैक्स्ड हूँ.. पता है क्यूँ…
मेरी चालू बीवी-125
नलिनी भाभी- क्या अंकुर? खुद तो सोते रहते हो पर यह …
मेरा गुप्त जीवन-31
अब इतनी बड़ी कोठी में सिर्फ मैं, पारो और कम्मो ही रह…
मेरा गुप्त जीवन -35
कम्मो की दर्द भरी कहानी सुन कर हम बहुत द्रवित हो गए …
एक बेवा का शिकार-1
दोस्तो, एक बात तो मैं ज़रूर कहना चाहूँगा कि अन्तर्वास…
मेरा गुप्त जीवन -38
उस रात मैं और कम्मो घोड़े बेच कर एक दूसरे की बाहों …